कतर म एलट एसकरट सवए, एरटक मसज और सटरपरस
कतर चललत नह यह चमकत ह - गरम, नरम, गहर
रत म दह म आवज नह - उनक गज पकडत ह, ज गगनचब इमरत क पछ रगसतन म गयब ह जत ह यह सब कछ तरत ह रत दन क गरम सजत ह समय धर बहत ह
कतर क एसकरट लडकय एक रहसय ह, शलनत म लपट व नजर क पछ नह भगत - उनक मजदग ह तमह खच लत ह कलपन कर वह आत ह, उसक अबय क रशम हलक स सरसरत ह, और तम कह और दख ह नह सकत उसक आख म गहरई ह, जस रत क खड, उसक मसकन म गरम ज हर ठडक पघल दत ह व परषकत ह, हर इशर म अरब शयर क छअन, मगर इतन जवत - इनह अनदख करक दख य महलए कतर क ससकत लए ह परपरओ क सममन, मगर नच एक आजद क चगर ज धडकत ह वह तमह बज क शकर क बत बत सकत ह य सक म दम पर मजक कर सकत ह - और लगत ह जस तम बरस स दसत ह
वह जलदबज नह करत कय? तम करनश पर एक कफ म ह, वह समन, और रत बहत ह - घड स नह, बलक ऊद क खशब क तरह, ज धर-धर खलत ह इसम कछ ह, पत ह, जस य पल सरफ तम दन क लए बन ह
कतर म एसकरट लडक श नह करत वह नटक नह करत वह सचच ह - तमहर सथ, हर नजर म, हर शबद म, ज टल पर हव क तरह फसफसत ह उसक अतरजञन तलवर-स तज ह वह तमहर मड भप लत ह, जनत ह कब चप रहन ह, कब हसन ह उसक गरम सरफ मसकन नह, कछ गहर ह, जस तर भर रत क यद और उसक हस, कगन क हलक खनक-स - सबह दह क रशन मट द, तब भ तमम रहत ह
यह गगनचबय क चमक नह सडक क शर नह सरफ एसकरट नह
यह एक चगर ह ज चपक स आत ह - और तमम जड जम लत ह